नैनीताल नाबालिग दुष्कर्म मामला: हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी पर लगाया 10 हजार रुपये का जुर्माना
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल में 12 वर्षीय नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले में आरोपी उस्मान खान के जमानत प्रार्थनापत्र के दस्तावेज समय पर दाखिल न करने पर जांच अधिकारी पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि तीन दिन के भीतर हाईकोर्ट एडवोकेट वेलफेयर सोसायटी में जमा की जाए।
यह सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ में हुई। आरोपी उस्मान खान के खिलाफ मल्लीताल कोतवाली में 30 अप्रैल 2025 को मामला दर्ज किया गया था। आरोपी पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म का गंभीर आरोप है। इस घटना के बाद नैनीताल में व्यापक विरोध और प्रदर्शन भी हुए थे।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर 2025 के लिए निर्धारित की है। सरकार को एफएसएल (Forensic Science Laboratory) रिपोर्ट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया गया है। कोर्ट ने मामले में तेजी से कार्रवाई करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
हाईकोर्ट का यह आदेश न्यायिक प्रक्रिया में अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच अधिकारियों की लापरवाही से न केवल न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि पीड़ित पक्ष के अधिकार भी प्रभावित होते हैं।
इस निर्णय के बाद कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह जुर्माना अन्य जांच अधिकारियों के लिए एक चेतावनी भी है कि उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन समय पर करना अनिवार्य है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगे की कार्रवाई निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से की जाए।
इस मामले ने पूरे नैनीताल में लोगों का ध्यान आकर्षित किया और नागरिकों में न्याय की प्रक्रिया के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई। पीड़ित परिवार और सामाजिक संगठनों ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। हाईकोर्ट का यह कदम न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
