Uttarakhand: सीएम ने दो पूर्व आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ फिर जांच और मुकदमे की दी मंजूरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में 2013 में हुई वन आरक्षी परीक्षा में अनियमितताओं का मामला फिर सुर्खियों में आया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में दो पूर्व आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ नई जांच और अभियोजन की मंजूरी दी है। इसमें सेवानिवृत्त आईएफएस एचके सिंह और कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी शामिल हैं।
इस मामले में मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव रंजन कुमार मिश्रा को जांच अधिकारी और डीएफओ वैभव कुमार को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नामित किया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अनियमितताओं की पूरी तरह जांच हो और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
इससे पहले जुलाई 2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून के विशेष न्यायालय में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी किशन चंद, तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा, तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी और तत्कालीन रेंजर मथुरा सिंह मावड़ी के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत अभियोजन शिकायत दायर की थी।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ प्रभाग के पाखरों में अवैध निर्माण के मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया था। सीबीआई ने भी इस मामले में जांच की थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि परीक्षा में अनियमितताएं और अन्य संदिग्ध गतिविधियां हुई थीं।
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जांच पूरी पारदर्शिता और कड़ाई से की जाए। उनका कहना है कि उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है।
वन आरक्षी परीक्षा मामले की यह नई जांच प्रशासन और वन विभाग की जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इससे भविष्य में किसी भी तरह की अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी और वन्य जीवन और कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
