Delhi Blast: दिल्ली ब्लास्ट के बाद उत्तराखंड में सक्रिय हुई सुरक्षा एजेंसियां, कई संदिग्ध आतंकी पकड़े गए

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दिल्ली ब्लास्ट

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उत्तराखंड में सीधे तौर पर आतंकवादी घटनाओं का असर कम रहा है, लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के कदमों का पीछा करते हुए राज्य में लगातार सक्रिय रही हैं। राज्य में आतंकवादियों के नेटवर्क को रोकने और किसी भी देश विरोधी गतिविधि को रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर कई ऑपरेशन किए हैं।

1980 और 1990 के दशक में खालिस्तानियों की सक्रियता उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में भी रही। उस समय आतंकियों और पुलिस के बीच कई मुठभेड़ हुईं। पंजाब पुलिस ने भी स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कई बड़े ऑपरेशन किए। 1990 के दशक में सक्रिय नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन कुछ आतंकवादी राज्य को पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करते रहे। नाभा जेल ब्रेक के आरोपी भी देहरादून में छिपे हुए पाए गए थे।

2015 में मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके अलावा गढ़वाल में हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में भी कई बार केंद्रीय एजेंसियों ने आतंकियों और उनके सहयोगियों का पीछा किया। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआई को सूचना देने वाले और गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल शामिल हैं। 2016 में हरिद्वार से चार आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकवादियों को एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर गिरफ्तार किया। ये आतंकी उस समय हरिद्वार में चल रहे अर्द्धकुंभ में बड़ी घटना को अंजाम देने वाले थे।

पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में कई संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा गया। 2018 में अब्दुल समद, रमेश सिंह कन्याल और दो खालिस्तानी समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। 2019 में हरचरण सिंह और हल्द्वानी के 52 संदिग्धों पर जांच शुरू हुई। 2020 में आशीष सिंह और 2022 में ज्वालापुर से गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल से जुड़े एक और संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया।

 

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