उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की बड़ी पहल, डिजिटल मूल्यांकन से जल्द आएंगे परीक्षा परिणाम
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग
देहरादून। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) से परीक्षाएं देने वाले अभ्यर्थियों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें परीक्षाओं के परिणामों के लिए महीनों लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आयोग नए साल से लिखित परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन कराने की तैयारी में है। इसके लिए आयोग ने संबंधित एजेंसियों से प्रस्ताव भी मांगे हैं और प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
वर्तमान में आयोग की प्रारंभिक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से किया जाता है, जिसके चलते आंसर की और परिणाम बेहद कम समय में जारी हो जाते हैं। हालांकि, मुख्य और अन्य लिखित परीक्षाओं का मूल्यांकन अब तक मैन्युअल तरीके से किया जाता रहा है। यही वजह है कि पीसीएस जैसी परीक्षाओं के परिणाम आने में सात से आठ महीने तक का समय लग जाता है, जिससे अभ्यर्थियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
मैन्युअल मूल्यांकन में समय अधिक लगने के साथ-साथ मानवीय त्रुटियों की संभावना भी बनी रहती है। आयोग का मानना है कि डिजिटल मूल्यांकन लागू होने से न केवल मूल्यांकन की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी और गलतियों की आशंका काफी हद तक कम हो जाएगी। इसी उद्देश्य से राज्य लोक सेवा आयोग ने आरएफपी जारी कर दी है और नए साल से लिखित प्रकृति की मुख्य परीक्षाओं का डिजिटल मूल्यांकन शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
आयोग के अधिकारियों के अनुसार, डिजिटल मूल्यांकन पूरी तरह सख्त नकलरोधी कानून के दायरे में रहेगा। उत्तराखंड में लागू नकलरोधी कानून के तहत आयोग की प्रत्येक परीक्षा प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। डिजिटल मूल्यांकन में शामिल होने वाली एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी प्रकार की लापरवाही या चूक पाए जाने पर उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि लिखित परीक्षाओं का मैन्युअल मूल्यांकन समयसाध्य होने के साथ-साथ त्रुटिपूर्ण भी हो सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए डिजिटल मूल्यांकन की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। इससे अभ्यर्थियों को समय पर परिणाम मिलेंगे और भर्ती प्रक्रिया अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनेगी। आयोग की इस पहल को अभ्यर्थियों के हित में एक बड़ा और सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे भविष्य में भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया और अधिक भरोसेमंद हो सकेगी।
