आध्यात्मिक गुरू प्रेम रावत को देहरादून परेड़ ग्राउंड में सुनने के लिए उमड़ी भीड़

देहरादून के परेड ग्राउंड में रविवार को आध्यात्मिक गुरू और राज विद्या केन्द्र के संस्थापक प्रेम रावत के प्रवचन को सुनने के लिए 15 हजार से ज्यादा लोग सत्संग में मौजूद रहे। प्रेम रावत बोले रामायण और महाभारत खत्म हो गया मगर काम, क्रोध, लोभ, अहंकार,माया, छल, एवं मोह आज भी जिंदा है।
महाभारत और रामायण के समय की बुरी शक्तियां इस कदर कदाचारी नहीं थी जितना इस समय धरती पर अशांति, झूठ, फरेब एवं अत्याचार है उतना कभी नहीं था। अगर अब देखा जाए तो लोग दिखावट की जिंदगी जीते है। दिखावट के लिए पूजा पाठ करते है। आज हर कोई बस किसी न किसी तरह का घमंड और अहंकार लिए घुम रहा है। समाज में प्रेम, भावना तभी आ सकती है जब हृदय में उसका वास हो।
उन्होंने ये भी कहां की अगर गंगा में अपने पाप धो दिए तो दोबारा पाप करना ही क्यों है। उनके द्वारा कहां गया की हम अपने सत्संग में यह नहीं बताते कि पाप कैसे धोएं हम यह कहते है कि पाप करो ही मत। अगर आप अपनी वास्तविक आंखे खोले, मन की आंखो से देखे तो प्रभु के रंगो की पहचान और जीवन कितना आंनदमय है वो पता चल जाएगा।
बचपन के दिन याद करते उन्होनें कहा काफी बदल गया है देहरादूनः प्रेम रावत ने दून में बिताए बचपन के दिन याद करते हुए कहां कि साठ के दशक का दून ऐसा नहीं था उस समय बहुत हरियाली, शांति और खुली खुली जगह थी इसी जगह में उन्होंने गाड़ी चलाना सीखा था अब यहां काफी भीड़ हो गई और बहुत बिल्ड़िगे बन चुके है।