देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे: एलिवेटेड रोड लगभग तैयार, लेकिन दो जगह भूस्खलन का खतरा अभी भी चुनौती
देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे
दिल्ली-देहरादून के बीच तेज रफ्तार सफर का सपना अब हकीकत बनने के करीब है। एक्सप्रेसवे का अहम हिस्सा—गणेशपुर से आशारोड़ी तक बनने वाली एलिवेटेड रोड—लगभग तैयार है, लेकिन इसके पूरी तरह शुरू होने में कुछ और समय लग सकता है। कारण है—दो स्थानों पर मौजूद पहाड़ियां, जहां से कई बार मलबा सड़क पर आ चुका है। जब तक इन भू-संवेदनशील ढलानों का ट्रीटमेंट पूरा नहीं हो जाता, तब तक इस रूट पर खतरा बना रहेगा।
इसी बीच सोमवार को अक्षरधाम से खेकड़ा तक एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा शुरू कर दिया गया, जिससे लोगों को अत्यधिक राहत मिली है। दो घंटे का सफर अब केवल 30 से 35 मिनट में पूरा हो रहा है। मंगलवार को गणेशपुर–आशारोड़ी सेक्शन की ग्राउंड रिपोर्ट में पता चला कि अधिकतर हिस्सा तैयार है, लेकिन दो जगहें ऐसी हैं जहां पहाड़ सड़क से बिल्कुल सटा हुआ है। यहां भूस्खलन से बचाने के लिए आवश्यक सुरक्षा कार्य अभी पूरा नहीं हो पाया है।
बारिश के दौरान हुए सर्वे में पाया गया कि नदी के कटाव की वजह से 24 पिलर अतिरिक्त जोखिम में थे। इन्हें मजबूत करने के लिए एनएचएआई जैकेटिंग का काम करा रहा है, जो लगभग अंतिम चरण में है। अधिकारियों का दावा है कि सुरक्षा और संरचनात्मक मजबूती का काम तेजी से किया जा रहा है और उम्मीद है कि नया साल शुरू होने से पहले एलिवेटेड रोड लोगों के लिए खोल दी जाएगी।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एलिवेटेड रोड पर कारों की गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा और दोपहिया वाहनों के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है। संकेतक बोर्ड भी लगा दिए गए हैं, ताकि यातायात सुचारू और सुरक्षित रहे।
डाटकाली मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी बड़ा बदलाव किया जा रहा है। तेज रफ्तार वाहनों के बीच यू-टर्न की समस्या को देखते हुए एक अलग वाया डक्ट तैयार किया जा रहा है, जिसके माध्यम से बिना जोखिम के मंदिर तक पहुंच बन सकेगी।
एनएचएआई के मुख्य अभियंता मुकेश परमार का कहना है कि अंतिम चरण के कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं। सुरक्षा इंतज़ामों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उम्मीद है कि निर्धारित समय से पहले ही एलिवेटेड रोड को जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
