उत्तराखंड आंदोलन का जुझारू चेहरा दिवाकर भट्ट नहीं रहे; राज्यभर में शोक
दिवाकर भट्ट
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे वरिष्ठ नेता दिवाकर भट्ट का मंगलवार शाम निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे भट्ट ने हरिद्वार स्थित शिवालोक कॉलोनी के अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन से राज्यभर में शोक की लहर है, जबकि राजनीतिक दलों और आंदोलनकारियों ने इसे उत्तराखंड की अपूरणीय क्षति बताया है।
परिजनों के अनुसार दिवाकर भट्ट पिछले कुछ वर्षों से लगातार पांच बार ब्रेन स्ट्रोक झेल चुके थे और गम्भीर रूप से बीमार थे। मंगलवार सुबह ही उन्हें देहरादून के एक निजी अस्पताल से हरिद्वार लाया गया था। शाम को लगभग चार बजे उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि हुई।
1946 में टिहरी जिले के सुपार गांव, पट्टी बडियारगढ़ में जन्मे भट्ट लंबे समय से हरिद्वार में रह रहे थे।
दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सबसे मुखर, निर्भीक और संघर्षशील चेहरों में से एक रहे। यूकेडी के केंद्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने वर्षों तक पहाड़ की आवाज़ को मुद्दों के साथ आगे बढ़ाया। राजनीति में रहते हुए वह राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने और देवप्रयाग विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। पहाड़ के हक, विस्थापन, पलायन और स्थानीय अधिकारों पर उनकी साफ और तेज़ आवाज़ उन्हें बाकी नेताओं से अलग पहचान देती थी।
उनके निधन के बाद हरिद्वार स्थित आवास पर शोक संवेदनाएं व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दिवाकर भट्ट का अंतिम संस्कार बुधवार सुबह 11 बजे खड़खड़ी श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके परिवार में पुत्र ललित भट्ट, बहू, पौत्र और पौत्री शामिल हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर शोक संदेश जारी करते हुए कहा कि भट्ट का राज्य निर्माण आंदोलन तथा सार्वजनिक जीवन में योगदान सदैव याद रखा जाएगा। विधायक मदन कौशिक और यूकेडी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी परिवार से मिलने पहुंचे।
विधानसभा अध्यक्ष और विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने दिवाकर भट्ट को उत्तराखंड की अस्मिता का प्रहरी बताते हुए कहा कि उनका संघर्ष, त्याग और योगदान हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
