रुद्रप्रयाग: जय बाबा तुंगनाथ! तृतीय केदार की शीतकालीन डोली मक्कूमठ में विराजमान, गूंजे भक्तों के जयकारे

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रुद्रप्रयाग

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ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग)। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली भव्य धार्मिक अनुष्ठानों और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शनिवार को उनके शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विधिवत विराजमान हो गई। श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत वातावरण में सैकड़ों भक्तों ने “जय बाबा तुंगनाथ” के जयकारों के साथ भगवान की डोली का स्वागत किया।

छह नवंबर को बाबा तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधानपूर्वक बंद किए गए थे। इसके बाद डोली चोपता होते हुए भनकुन गुफा में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। शुक्रवार सुबह 10:30 बजे चल विग्रह डोली ने भनकुन गुफा से मक्कूमठ के लिए प्रस्थान किया। यात्रा मार्ग में भक्तों ने फूलों से सजावट कर डोली का स्वागत किया और पूरे मार्ग में भक्ति गीतों और शंखनाद से वातावरण पवित्र बना रहा।

राक्षी नदी में पारंपरिक स्नान और पूजा-अर्चना के पश्चात डोली दोपहर लगभग दो बजे मक्कूमठ स्थित मंदिर परिसर में पहुंची। यहां पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान की भोग मूर्तियों को गर्भगृह में विराजमान किया। इसके बाद विशेष आरती और पूजन हुआ। भक्तों ने इस दौरान दीप प्रज्वलित कर तृतीय केदार के चरणों में नमन किया।

शीतकाल के दौरान भगवान तुंगनाथ की पूजा-अर्चना और दर्शन मक्कूमठ में ही होते हैं। यह स्थल चमोली जिले के तुंगनाथ धाम से जुड़ा हुआ है, जहां कपाट बंद होने के बाद भगवान की डोली को लाया जाता है। शीतकालीन व्यवस्था की सभी तैयारियां मंदिर समिति और स्थानीय ग्राम समितियों द्वारा पूरी की गई हैं।

मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। दूर-दूर से आए भक्तों ने दर्शन कर अपने परिवार और समाज के कल्याण की कामना की। स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य कर भगवान का स्वागत किया, वहीं पुजारियों ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि “जो श्रद्धा और भक्ति से तृतीय केदार का दर्शन करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं।”

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