तीन पीढ़ियों की देशसेवा की परंपरा आगे बढ़ी, कानपुर के एचएस रीन बने सेना में लेफ्टिनेंट
लेफ्टिनेंट
भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की पासिंग आउट परेड में शनिवार को कानपुर निवासी एचएस रीन लेफ्टिनेंट बन गए। यह क्षण उनके परिवार के लिए खास रहा, क्योंकि देशसेवा की यह परंपरा तीन पीढ़ियों से लगातार चली आ रही है। एचएस रीन अपने परिवार के तीसरे अधिकारी और पांचवें फौजी हैं, जिन्होंने सेना की वर्दी पहनकर देश की सेवा की है।
एचएस रीन के परदादा और दादा भारतीय सेना में रहकर राष्ट्र सेवा कर चुके हैं। उनके दादा यूएस राणा ने भारत–चीन युद्ध के दौरान सेना में रहकर साहस और शौर्य का परिचय दिया था। सेना की कहानियां, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का माहौल एचएस रीन को बचपन से ही मिला, जिसने उनके जीवन की दिशा तय कर दी।
उनके पिता भी भारतीय सेना में अधिकारी हैं। उन्होंने भावुक होते हुए बताया कि ठीक 25 साल पहले, 9 दिसंबर 2000 को वे सेना में भर्ती हुए थे और आज उसी तारीख के आसपास उनका बेटा लेफ्टिनेंट बन गया है। उन्होंने कहा कि यह उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है कि चौथी पीढ़ी अब देश सेवा की जिम्मेदारी संभाल रही है।
एचएस रीन ने बताया कि उन्हें सेना का माहौल विरासत में मिला, इसलिए उनका लक्ष्य शुरू से ही स्पष्ट था। उन्होंने उसी अनुरूप तैयारी की और कठिन प्रशिक्षण के बाद यह मुकाम हासिल किया। खास बात यह भी रही कि उन्हें वही यूनिट आवंटित हुई, जिसमें उनके पिता ने 25 वर्ष पहले सेवा शुरू की थी, जिसे उन्होंने एक सुखद संयोग बताया।
लेफ्टिनेंट बनने के बाद एचएस रीन ने कहा कि देश सेवा का अवसर मिलना उनके लिए सम्मान की बात है और वे अपने वरिष्ठों की परंपरा को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से आगे बढ़ाएंगे। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा है, जो सेना में जाकर देश के लिए कुछ करना चाहते हैं।
