उत्तराखंड के 24 लाख बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत — जनवरी के बिलों में मिलेगी 50 करोड़ की छूट

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बिजली

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उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत की घोषणा हुई है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश के लगभग 24 लाख उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर फायदा पहुंचाते हुए 50.28 करोड़ रुपये का समायोजन बिजली बिलों में करने का फैसला लिया है। यह राहत उपभोक्ताओं को जनवरी 2026 के बिजली बिलों में दिखाई देगी, जिससे घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ में बड़ी कमी मिलेगी।

यह समायोजन फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (FPPCA) के तहत किया गया है। अप्रैल से जून 2025 की तिमाही के लिए यूपीसीएल ने आयोग के समक्ष पिटीशन दायर की थी। आयोग की जांच में पाया गया कि इस अवधि में बिजली खरीद लागत अनुमान से कम रही, जिसके चलते 50.28 करोड़ रुपये का नकारात्मक एफपीपीसीए बनता है। यही राशि अब उपभोक्ताओं को राहत के रूप में दी जाएगी।

आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा और सदस्य तकनीकी प्रभात किशोर डिमरी ने संयुक्त रूप से आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि यूपीसीएल अब उपभोक्ताओं से एफपीपीसीए दो महीने बाद वसूलेगा। उदाहरण के तौर पर, अप्रैल महीने का एफपीपीसीए जून की खपत पर लागू होगा और इसकी बिलिंग जुलाई में होगी। इससे उपभोक्ताओं को बिलिंग सिस्टम और अतिरिक्त शुल्क की समझ अधिक स्पष्ट रूप में मिलेगी।

औद्योगिक उपभोक्ताओं की मांग पर आयोग ने यूपीसीएल को यह भी निर्देश दिए हैं कि हर महीने लागू होने वाला एफपीपीसीए पिछले माह की 28 तारीख तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। इससे बिलिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को वास्तविक समय में जानकारी मिल सकेगी।

नियामक आयोग ने यूपीसीएल द्वारा बताई गई औसत बिजली खरीद दर 5.39 रुपये प्रति यूनिट को स्वीकार किया है। यूपीसीएल ने बताया कि इस तिमाही में 27.28 करोड़ रुपये की अधिक वसूली की गई है। चूंकि इन महीनों के ऑडिटेड रिकॉर्ड अभी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए आयोग ने इस राशि को आने वाले महीनों के एफपीपीसीए में समायोजित करने की अनुमति दी है और इसका अलग रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है।

आयोग के सचिव नीरज सती ने कहा कि विस्तृत गणना और विश्लेषण के बाद यह फैसला सुनाया गया है। जनवरी के बिलों में मिलने वाली यह 50 करोड़ की राहत उपभोक्ताओं के लिए बड़ा सहारा साबित होगी—खासतौर पर सर्दियों के मौसम में, जब बिजली की खपत बढ़ जाती है।

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