सिलगुर देवता मंदिर प्रवेश हिंसा मामला: नौ साल बाद अदालत में दर्ज होंगे पूर्व सांसद तरुण विजय के बयान

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सिलगुर देवता मंदिर प्रवेश

सिलगुर देवता मंदिर प्रवेश

देहरादून जनपद के चकराता स्थित सिलगुर देवता मंदिर प्रवेश हिंसा कांड में नौ साल बाद न्यायिक प्रक्रिया एक बार फिर आगे बढ़ी है। जिला अदालत ने पूर्व सांसद तरुण विजय को 19 दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। यह मामला 20 मई 2016 का है, जब मंदिर में प्रवेश को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था और इसकी गूंज देशभर में सुनाई दी थी।

घटना के दिन पूर्व सांसद तरुण विजय पुजारियों की ओर से प्रतिबंधित बताए जा रहे सिलगुर देवता मंदिर में दलित समुदाय के सदस्यों के साथ प्रवेश करने पहुंचे थे। इसी दौरान विरोध कर रहे लोगों ने उन पर पत्थरबाजी कर दी थी, जिसमें तरुण विजय घायल हो गए थे। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए थे कि उनके लिए बुलाई गई एंबुलेंस को भी वापस लौटा दिया गया था। बाद में तत्कालीन राज्यपाल केके पॉल ने विशेष हेलीकॉप्टर भेजकर उन्हें उपचार के लिए पहुंचाया था।

इस घटना के बाद देश की राजनीति में भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं। तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह, आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी भैयाजी जोशी, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, बसपा सुप्रीमो मायावती और दलित नेता रामविलास पासवान सहित विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने तरुण विजय के समर्थन में बयान दिए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी अस्पताल पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी और मामले की जांच के आदेश दिए थे।

अब नौ साल बाद अदालत में बयान दर्ज होने से पीड़ितों और संबंधित पक्षों को न्याय की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है। बयान दर्ज कराने से पहले तरुण विजय ने कहा कि यह मामला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि हिंदू समाज की समरसता से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जातिवाद हिंदू समाज का सबसे बड़ा शत्रु है और झूठा अहंकार समाज को तोड़ने का काम करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके मन में किसी के प्रति कोई विद्वेष नहीं है और उनका उद्देश्य समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा देना है।

अब 19 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, जिससे इस बहुचर्चित मामले में आगे की कानूनी दिशा तय होगी।

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