देहरादून के शहर काज़ी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी के जनाज़े में उमड़ा जनसैलाब; नजीबाबाद में अचानक हुआ इंतकाल
मौलाना मोहम्मद अहमद
देहरादून में रविवार को शहर काज़ी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी के जनाज़े की नमाज़ में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। 74 वर्षीय शहर काज़ी का शनिवार शाम नजीबाबाद में अचानक इंतकाल हो गया था। उनके निधन की खबर से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। समुदाय के लोगों से लेकर शहर के सामाजिक और धार्मिक संगठनों तक, सभी ने उनके अचानक चले जाने को बड़ी क्षति बताया।
शनिवार शाम वह अपने परिवार के साथ नजीबाबाद में एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे। वहीं उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार और परिचितों के लिए यह घटना बेहद सदमे वाला पल था। देहरादून लौटने के बाद रविवार को जनाज़े की नमाज़ अदा की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। भीड़ इतनी अधिक थी कि क्षेत्र में ट्रैफिक व्यवस्था को भी पुलिस ने विशेष रूप से संभाला।
मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी 1981 से देहरादून के शहर काज़ी थे और चार दशकों से अधिक समय तक उन्होंने शहर में सामाजिक और धार्मिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समुदाय के लोगों ने उन्हें एक विनम्र, सादगीपूर्ण और न्यायप्रिय व्यक्तित्व के रूप में याद किया। लोग बताते हैं कि उन्होंने जीवनभर शांति, भाईचारे और सौहार्द की मिसाल कायम की। शुक्रवार को ही उन्होंने जुमे की नमाज़ अदा कराई थी और अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा से किया।
एक वर्ष पूर्व उनकी सर्जरी भी हुई थी, जिसके बाद वह कुछ समय तक स्वास्थ्य लाभ में रहे, लेकिन फिर भी लगातार अपने कर्तव्यों में लगे रहे। उनके निधन को देहरादून के धार्मिक और सामाजिक जीवन के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।
जनाज़े के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने परिवार को सांत्वना दी और मौलाना कासमी के योगदानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों ने कहा कि उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी। उनके निधन से न केवल परिवार, बल्कि पूरा शहर शोक में डूबा हुआ है।
