अल्मोड़ा जिला पुस्तकालय बदहाल: 25 साल से बिना पुस्तकालयाध्यक्ष, एक कर्मचारी के सहारे 40 हजार किताबें

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जिला पुस्तकालय

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अल्मोड़ा स्थित राजकीय जिला पुस्तकालय बीते करीब 25 वर्षों से कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है। पुस्तकालयाध्यक्ष समेत तीन महत्वपूर्ण पद लंबे समय से रिक्त हैं, जिससे न सिर्फ पुस्तकालय का संचालन प्रभावित हो रहा है, बल्कि नियमित पाठकों को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि हजारों पुस्तकों और सैकड़ों पाठकों की जिम्मेदारी फिलहाल सिर्फ एक कनिष्ठ सहायक के कंधों पर टिकी हुई है।

1960 के दशक में जिला मुख्यालय अल्मोड़ा में स्थापित इस राजकीय जिला पुस्तकालय को उस समय शैक्षिक और बौद्धिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता था। मानकों के अनुसार यहां एक पुस्तकालयाध्यक्ष, एक कनिष्ठ सहायक और दो परिचारकों के पद स्वीकृत किए गए थे। लेकिन बीते ढाई दशकों से पुस्तकालयाध्यक्ष और दोनों परिचारक के पद खाली पड़े हैं। नतीजतन, पुस्तकालय की व्यवस्था चरमराने लगी है।

वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 100 से 150 पाठक पुस्तकालय पहुंचते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा, शोधार्थी और वरिष्ठ पाठक यहां अध्ययन के लिए आते हैं। कर्मचारियों की कमी के चलते न तो पुस्तकों का सही ढंग से रख-रखाव हो पा रहा है और न ही पाठकों को अपेक्षित मार्गदर्शन मिल पा रहा है। कई पाठकों का कहना है कि नई पुस्तकों की उपलब्धता, पुरानी किताबों की मरम्मत और रिकॉर्ड संधारण जैसे काम प्रभावित हो रहे हैं।

जिला पुस्तकालय में इस समय करीब 40 हजार से अधिक पुस्तकें मौजूद हैं। इतने बड़े संग्रह की देखरेख के लिए पर्याप्त स्टाफ न होना चिंता का विषय है। अव्यवस्थित रख-रखाव के कारण किताबों के खराब होने, गुम होने और नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई, तो यह बहुमूल्य ज्ञान-संपदा धीरे-धीरे नष्ट हो सकती है।

हालांकि, पुस्तकालय में पाठकों के लिए वाई-फाई जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन कर्मचारियों की कमी इन सुविधाओं के बेहतर उपयोग में भी बाधा बन रही है। स्थानीय लोगों और नियमित पाठकों ने शिक्षा विभाग से शीघ्र रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग की है, ताकि जिला पुस्तकालय फिर से अपने उद्देश्य और गरिमा के अनुरूप संचालित हो सके।

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