तीन पीढ़ियों की वर्दी का सपना साकार, देहरादून के आर्यन शर्मा बने सेना में लेफ्टिनेंट

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लेफ्टिनेंट

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देहरादून निवासी आर्यन शर्मा के लिए सेना की वर्दी सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि विरासत और जुनून का प्रतीक रही है। भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की पासिंग आउट परेड में लेफ्टिनेंट बनकर आर्यन ने न केवल अपना सपना पूरा किया, बल्कि अपने परिवार का मान भी बढ़ाया। कभी पायलट बनने का सपना देखने वाले आर्यन का रुझान उस समय सेना की ओर मुड़ गया, जब उन्होंने बचपन से अपने पिता और दादा को वर्दी में देखा।

आर्यन शर्मा मूल रूप से देहरादून के रहने वाले हैं और उनका परिवार तीन पीढ़ियों से देश सेवा में समर्पित रहा है। उनके परदादा स्वर्गीय सूबेदार मेजर सीएल शर्मा 11 गोरखा रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके थे। उनके दादा आरके शर्मा असम रेजिमेंट में कार्यरत रहे और अब सेवानिवृत्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं, आर्यन के पिता कर्नल अभिनव शर्मा वर्तमान में भारतीय सेना में सेवारत हैं और पंचकुला में तैनात हैं।

आर्यन की प्रारंभिक शिक्षा भी उनके पिता की विभिन्न तैनातियों के दौरान अलग-अलग स्थानों पर हुई। सेना के माहौल में पले-बढ़े आर्यन को शुरू में उड़ान भरने का शौक था और वह पायलट बनना चाहते थे। लेकिन जैसे-जैसे समझ बढ़ी, वर्दी के प्रति उनका लगाव और गहरा होता गया। दादा आरके शर्मा बताते हैं कि सेना में अनुशासन, देशभक्ति और सम्मान की भावना ने आर्यन को भीतर से प्रेरित किया और उसने सेना में अधिकारी बनने का लक्ष्य तय कर लिया।

इसके बाद आर्यन ने पूरी लगन और मेहनत से इसकी तैयारी शुरू की। कठिन प्रशिक्षण, अनुशासित दिनचर्या और मानसिक मजबूती के दम पर उन्होंने IMA तक का सफर तय किया। पासिंग आउट परेड के दौरान जब आर्यन ने लेफ्टिनेंट के रूप में कदमताल की, तो पूरे परिवार की आंखें गर्व से नम हो उठीं।

आर्यन शर्मा की यह सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो पारिवारिक परंपरा और अपने सपनों के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। तीन पीढ़ियों की देशसेवा की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आर्यन अब भारतीय सेना में नई जिम्मेदारियों के साथ राष्ट्र सेवा के लिए तैयार हैं।

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