Parshuram Jayanti: भगवान विष्णु के छठवें अवतार ….उत्तरकाशी का सौम्यकाशी जहां शांत हुआ भगवान परशुराम का क्रोध

उत्तरकाशी, उत्तराखंड — भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम जी का उत्तरकाशी में स्थित मंदिर श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक स्थल है। बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व से परिपूर्ण है। परशुराम जयंती के अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है और दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।
इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां परशुराम जी की पूजा विष्णु के पाषाण रूप में की जाती है। यह मूर्ति आठवीं और नवीं सदी की मानी जाती है और इतिहासकारों के अनुसार इसकी स्थापत्य शैली उस काल के विशिष्ट शिल्पकला को दर्शाती है। इस मूर्ति में भगवान राम की अयोध्या में स्थापित मूर्ति से काफी समानताएं भी देखी जाती हैं। मंदिर के पुजारी शैलेंद्र नौटियाल बताते हैं कि स्कंद पुराण के केदारखंड में परशुराम जी के उत्तरकाशी आगमन का विस्तृत विवरण मिलता है। मान्यता है कि जब भगवान परशुराम क्रोध में थे, तब उन्होंने बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन किए। इन दिव्य दर्शन के बाद उनका क्रोध शांत हुआ और भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि इस स्थान को अब “सौम्यकाशी” के नाम से जाना जाएगा।
यह केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि उत्तरकाशी की आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा है। मंदिर के आस-पास के वातावरण में एक विशेष शांति और दिव्यता का अनुभव होता है, जिसे श्रद्धालु “सौम्य” कहकर व्यक्त करते हैं।
परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में उत्तरकाशी में धार्मिक उत्सव का माहौल रहता है। पूजा, हवन और भजन की गूंज से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठता है। स्थानीय प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा और व्यवस्थाओं के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
यह मंदिर न केवल उत्तरकाशी का गौरव है, बल्कि उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। परशुराम जी का यह मंदिर न केवल उनकी शक्ति और क्रोध का प्रतीक है, बल्कि उनके शांति और सौम्यता की ओर हुए आध्यात्मिक परिवर्तन का भी प्रतीक बन चुका है।